देहरादून। राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में मची आपदा से जनहानि का सिलसिला थम नहीं रहा है। बुधवार को पांच और शव बरामद हुए, जिनमें तीन शव देहरादून से और दो शव सहारनपुर के मिर्जापुर स्थित यमुना नदी से मिले। इसके साथ ही मृतकों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है, जबकि 23 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।
फुलेत गांव में सहारनपुर के छह मजदूर मलबे में दबे होने की आशंका है। इनकी तलाश के लिए एसडीआरएफ बुधवार सुबह से सर्च ऑपरेशन चला रही है। वहीं, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आधिकारिक रूप से अब तक 16 मौत और 17 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है।
सोमवार रात हुई भारी बारिश के बाद बांदल, सौंग, तमसा (टोंस) और आसन नदियाँ उफान पर आ गई थीं। टोंस नदी में ट्रैक्टर-ट्रॉली समेत 15 मजदूर बह गए थे, जिनमें से आठ के शव बरामद हो चुके हैं, दो को बचा लिया गया था और पाँच अब भी लापता हैं।
देहरादून से बहकर गए दो शव यमुना नदी से मिर्जापुर (सहारनपुर) में मिले, हालांकि स्थानीय स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। दो शव सौंग नदी से रायपुर क्षेत्र में और एक शव हरबर्टपुर में आसन नदी से बरामद किया गया है। इनकी पहचान अभी नहीं हो सकी है।
उधर, टूटी सड़कों और पुलों की मरम्मत का कार्य भी जारी है। नंदा की चौकी के पास ढहे पुल के हिस्से की मरम्मत शुरू कर दी गई है। मालदेवता क्षेत्र में हेलिकॉप्टर से राशन पहुँचाया गया और क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत का काम भी तेजी से किया जा रहा है।
देहरादून से मसूरी जाने वाले दोनों मार्ग दूसरे दिन भी बंद रहे। ऐसे में मुख्य पांवटा हाईवे का दबाव शिमला बाईपास रोड पर बढ़ गया, जहाँ कई स्थानों पर जाम की स्थिति बनी। हालांकि, पुलिस की सतर्कता से स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया।
