हरिद्वार। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को तीर्थ नगरी हरिद्वार से पवित्र छड़ी यात्रा का शुभारंभ किया। यह यात्रा अधिष्ठात्री माया देवी मंदिर के प्रांगण से वैदिक विधि और मंत्रोच्चार के साथ उत्तराखंड के चारों धामों की ओर रवाना हुई।
मुख्यमंत्री ने छड़ी का अभिषेक कर महामाया देवी की पूजा-अर्चना की, सभी संतों का माल्यार्पण कर सम्मान किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने इसे अपने लिए सौभाग्यपूर्ण बताया कि वे आदि गुरू शंकराचार्य द्वारा आरंभ की गई पवित्र छड़ी यात्रा में सम्मिलित हो रहे हैं।
पवित्र छड़ी यात्रा का महत्व
मुख्यमंत्री ने कहा कि पवित्र छड़ी की पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी सनातन संस्कृति की व्यापकता का जीवंत प्रमाण है। यह यात्रा उत्तराखंड की विविधता और एकता का प्रतीक भी है। कुमाऊं से गढ़वाल तक, हिमालय की ऊँचाई से गंगा-यमुना के तराई क्षेत्रों तक, यह यात्रा लोगों को जोड़ती है।
उन्होंने यह भी बताया कि लगभग 70 वर्ष पूर्व यह यात्रा अवरुद्ध हो गई थी, लेकिन 2019 में श्रीमहंत हरिगिरी महाराज के प्रयासों से इसे पुनः प्रारंभ किया गया।
संत और समाज के विकास में योगदान
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे रोजगार, स्वरोजगार और समाज के समग्र विकास के लिए कार्य करते हैं। उनका योगदान समाज में सकारात्मक बदलाव लाता है और स्थानीय व सीमांत क्षेत्रों में विकास की नई पहचान दिलाता है।
धर्म, संस्कृति और विकास
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास के साथ-साथ सनातन संस्कृति का संरक्षण और पुनरुत्थान भी हो रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि काशी विश्वनाथ, महाकाल लोक, बद्रीनाथ, केदारनाथ और अयोध्या में मंदिरों का भव्य निर्माण इसका प्रमाण है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि हरिद्वार-ऋषिकेश कॉरिडोर के निर्माण के बाद धर्मनगरी हरिद्वार भी काशी और अयोध्या की भांति भव्य रूप में नजर आएगी। वर्ष 2027 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेले की तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। इसके लिए सभी अखाड़ों के प्रतिनिधियों से सुझाव लिए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि हरिद्वार के विकास की सभी योजनाओं में स्थानीय लोगों की सहमति का ध्यान रखा जाएगा और हरिद्वार के भव्य स्वरूप को देश-दुनिया के सामने लाने के प्रयास जारी रहेंगे।
