देहरादून: राजधानी की पहचान कहे जाने वाले घंटाघर को अब एक नया और पर्वतीय संस्कृति से सुसज्जित भव्य स्वरूप मिलने जा रहा है। जिला प्रशासन के सौंदर्यीकरण अभियान के तहत इस ऐतिहासिक स्थल को नए रूप में ढालने का कार्य अंतिम चरण में है। जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में यह कार्य शहर की सांस्कृतिक छवि को निखारने और यातायात को व्यवस्थित करने की दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
शुक्रवार को डीएम सविन बंसल ने स्वयं घंटाघर, दिलाराम और ब्रह्म कमल चौक का दौरा कर प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं को निर्देश दिए कि निर्धारित समय सीमा में गुणवत्ता के साथ कार्य पूर्ण किया जाए। उन्होंने बताया कि कार्यों को स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत धनराशि आवंटित कर क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसमें निर्माण के साथ-साथ रखरखाव की व्यवस्था भी शामिल है।
पहाड़ी संस्कृति की झलक देंगे चौक-चौराहे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से शुरू हुई इस पहल के तहत देहरादून के पांच प्रमुख चौराहों – घंटाघर, कोठाल गेट, साईं मंदिर, दिलाराम और ब्रह्मकमल – को पारंपरिक पहाड़ी शैली में सजाया जा रहा है। इन स्थलों पर स्थानीय लोक कला, स्थापत्य और सांस्कृतिक प्रतीकों को दर्शाया जाएगा, जिससे यहां से गुजरने वाला हर नागरिक और पर्यटक उत्तराखंड की विरासत का सजीव अनुभव कर सके।
सुगम यातायात और सुरक्षा की दिशा में कदम
घंटाघर चौक के साथ-साथ अन्य स्थलों पर यातायात को बेहतर बनाने के लिए व्यापक बदलाव किए जा रहे हैं:
साईं मंदिर और कठोल गेट पर नई स्लिप रोड बनाई गई है।
11 ट्रैफिक जंक्शनों पर नई ट्रैफिक लाइट स्थापित की गई हैं।
ब्रह्मकमल चौक के पुनर्निर्माण से गोलाई में सुधार कर दुर्घटनाओं पर नियंत्रण की दिशा में प्रयास किया जा रहा है।
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
डीएम बंसल ने कहा, “घंटाघर देहरादून की सांस्कृतिक पहचान है। यह सिर्फ एक संरचना नहीं, बल्कि राज्य की आत्मा का प्रतीक है। इसे सुंदर बनाना मात्र सजावट नहीं, बल्कि अपनी लोक परंपरा और विरासत को सहेजने का प्रयास है।”
जल्द दिखाई देगा निखरा रूप
सभी कार्य तेजी से अंतिम चरण में हैं। आने वाले दिनों में देहरादून वासियों और पर्यटकों को घंटाघर और अन्य प्रमुख चौक-चौराहे पहाड़ी कलेवर में दिखाई देंगे, जो शहर की नई सांस्कृतिक पहचान बनेंगे।
