
देहरादून: वर्ष 2016 में उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल लाने वाले हरीश रावत स्टिंग ऑपरेशन मामले में CBI ने एक बार फिर जांच की रफ्तार बढ़ा दी है। इस बहुचर्चित मामले में नए विवेचना अधिकारी ने न्यायालय के माध्यम से कई नेताओं को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया है। इनमें राज्य सरकार के मंत्री सुबोध उनियाल भी शामिल हैं।
क्या था मामला?
मार्च 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में बगावत के हालात बने थे। उस वक्त के मुख्यमंत्री हरीश रावत पर आरोप लगे थे कि वे अपनी सरकार बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त में लिप्त थे। इसी संदर्भ में एक स्टिंग वीडियो सामने आया, जिसमें कथित तौर पर हरीश रावत सौदेबाज़ी करते दिखे थे।
बाद में एक अन्य स्टिंग में कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के होने का भी दावा किया गया। इन स्टिंग ऑपरेशनों को पत्रकार उमेश कुमार द्वारा कराए जाने की बात सामने आई थी।
CBI की जांच और अब तक की कार्रवाई
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CBI ने वर्ष 2016 में मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की थी।
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वर्ष 2019 में हरीश रावत, हरक सिंह रावत, मदन सिंह बिष्ट और उमेश कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
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दो साल पहले CBI ने इन सभी से आवाज़ के नमूने (Voice Samples) देने के लिए नोटिस जारी किए थे। इनमें से कुछ नेताओं ने सैंपल दिए, कुछ ने नहीं।
मंत्री सुबोध उनियाल को भेजा गया नोटिस
नए विवेचना अधिकारी ने अब मामले में नई गति लाते हुए मंत्री सुबोध उनियाल समेत कई नेताओं को बयान दर्ज कराने के लिए तिथि निर्धारित कर नोटिस भेजे हैं। सुबोध उनियाल ने बताया कि उन्हें गुरुवार को उपस्थित होना था, लेकिन सरकारी व्यस्तताओं के चलते उन्होंने तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है।
एक विधायक का बयान दर्ज
सूत्रों के अनुसार, हरिद्वार के एक विधायक पहले ही अपना बयान दर्ज करवा चुके हैं, जबकि अन्य नेताओं को जल्द पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
क्या कहता है यह मामला उत्तराखंड की राजनीति के लिए?
स्टिंग कांड उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास का एक गंभीर और संवेदनशील प्रकरण है, जिसने राज्य की राजनीतिक शुचिता पर सवाल उठाए। अब जबकि CBI फिर से सक्रिय हुई है, तो आने वाले समय में इस केस में नए मोड़ आने की संभावना है।