फरीदाबाद। राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड एवम गाइड्स ने वर्ल्ड फर्स्ट एड डे पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। जूनियर रेडक्रॉस और ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि वर्ल्ड फर्स्ट एड डे जो कि विश्व स्तर पर आयोजित किए जाने वाला कार्यक्रम है सितंबर माह के दूसरे शनिवार को आयोजित किया जाता है जिसे वर्ष 2000 से प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। इस वर्ष भी फर्स्ट ऐड डे की थीम है डिजिटल विश्व में प्राथमिक चिकित्सा डिजिटल तकनीक सभी आयु और वर्गों को प्राथमिक चिकित्सा सभी आयु के लोगों को प्राथमिक चिकित्सा जन साधारण को प्राथमिक चिकित्सा के विषय में अधिक जागरूक और उतरदायी बनाने मे वास्तव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्राचार्य मनचन्दा ने बताया कि फर्स्ट एड अर्थात पहली सहायता का तात्पर्य किसी घायल व्यक्ति को मेडिकल हेल्प मिलने से पहले दी जाने वाली सहायता। बहुत से व्यक्ति प्राथमिक उपचार नहीं मिलने पर जीवन से हाथ धो बैठते हैं। ऐसा सामान्यतः उस अवस्था में होता है जब शरीर से अत्यधिक खून बहने लगता है। इस स्थिति में खून को बहने से रोकना, घाव होने पर उस पर मलहम, पट्टी करना आदि से घायल अथवा रोगी का जीवन बचाया जा सकता है। जे आर सी और सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड के तत्वाधान में विद्यालय में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा और प्राध्यापिका गीता ने छात्राओं को बेहोशी की अवस्था में क्या प्राथमिक उपचार दिया जाना चाहिए, बताया। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने उन्हें रिकवरी पोजिशन के बारे में भी बताया। उन्होंने छात्राओं को बताया कि यातायात दुर्घटनाओं से हर तीस सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु होतीp है। इनमे प्राथमिक उपचार न मिल पाने के कारण दुर्घटना ग्रस्त स्थिति में होने वाली मृत्यु की संख्या पचास प्रतिशत से अधिक होती हैं। इस समस्या से समाधान पाने का सबसे सरल उपाय है कि सभी को प्राथमिक सहायता के लिए जागरूक किया जाये क्योंकि इस प्रकार होने वाली जीवन हानि मेंसे अधिकांश को रोका जा सकता है। प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी दुर्घटनाओं और गंभीर चोट में रोकथाम पर नागरिकों को शिक्षित करता है और आपात स्थिति को हल करने के लिए कौशल देता है। दुनिया में होने वाली मौतों में सड़क दुर्घटना नौवां प्रमुख कारण है। हर वर्ष तेरह लाख से अधिक व्यक्ति सड़क दुर्घटनाओं में प्राथमिक उपचार के अभाव में मारे जाते हैं। इनमें अधिकतर मौतें ऑक्सीजन न मिल पाने के कारण से होती हैं। घर और गाड़ी में अपने साथ हमेशा प्राथमिक उपचार किट रखें। डूबने, जलने, हृदयघात, सड़क दुर्घटना और आत्मघात में प्राथमिक उपचार से जान बचाई जा सकती है। प्राथमिक उपचार प्रशिक्षण लेने के बाद ही दिया जा सकता है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा और प्राध्यापिका गीता ने प्राथमिक चिकित्सा पर पोस्टर बना कर फर्स्ट ऐड़ की महत्ता को दर्शाने वाली छात्राओं काजल, चेतना, कोमल, सिया सहित सभी छात्राओं को सम्मानित किया और प्राथमिक उपचार की सभी विधियों का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि आगामी दो दिनों तक फर्स्ट एड की लाइफ सेविंग तकनीक के विषय में विस्तार से बताया जायेगा।